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केदारनाथ मंदिर यात्रा उत्तराखंड | Kedarnath distance from Rishikesh and How to reach by best way Hindi |

केदारनाथ यात्रा उत्तराखंड | Rishikesh to Kedarnath Yatra and distance Guide In Hindi |

केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर और उत्तराखंड हिमालय में बसे चार धामों में से एक धाम है। समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर भगवान शिव का मंदिर है। भगवान केदार या शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ मंदिर में है। साल के अधिकतर महीनों केदारनाथ धाम भारी बर्फ से ढका रहता है।

how to reach kedarnath from rishikesh in hindiकेदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर का पैदल ट्रेक करना पड़ता है। इतनी ऊंचाई पर स्थित होने के बावजूद भारी मात्रा में श्रद्धालु हर वर्ष केदारनाथ मंदिर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। केदारनाथ से थोड़ा और ऊंचाई पर चौराबाड़ी झील है जहां से मंदाकिनी नदी निकलती है। ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी लगभग 227 किलोमीटर है।

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केदारनाथ मंदिर का इतिहास | History Of Kedarnath Temple |

केदारनाथ मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। महाभारत युद्ध समाप्ति के बाद पांडव अपने खून संबंधी रिश्तेदारों की हत्या के अपराध से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की खोज कर रहे थे। लेकिन भगवान शिव उन्हें इस पाप से मुक्त नहीं करना चाहते थे। इसी लिए भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर उत्तराखंड गढ़वाल हिमालय में चले गए। उनकी खोज करते हुए पांडव भी यहां आ पहुंचे।

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जब पांडवों ने भगवान शिव का बैल रूप में होना जाना तो भगवान शिव बैलों के झुंड के साथ दौड़ने लगे। बैलों को रोकने के लिए भीम ने दो चट्टानों पर अपने पैर रखे और सभी बैल भीम के नीचे से जाने लगे। लेकिन शिव रूपी बैल भीम के नीचे से नहीं गए, जिससे पांडव भगवान शिव के बैल रूप को जान गए। इसके बाद भगवान शिव बैल रूप में उसी स्थान पर धरती में समाने लगे लेकिन किसी तरह भीम ने बैल का कूबड़ पकड़ लिया।

माना जाता है कि तब से इस स्थान पर बैल का कूबड़ ही शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है, और आज इसे केदारनाथ के नाम से जाना जाता है। बैल के अलग-अलग अंग अन्य स्थानों पर उभरे। बैल की नाभि, मध्य-महेश्वर स्थान पर, बैल के आगे के दो पैर तुंगनाथ में, बैल का मुख रुद्रनाथ में और बाल कल्पेश्वर में उभरे और आज भी यहां पूजे जाते हैं।

सामूहिक रूप से इन पांच पवित्र स्थानों को पंच केदार कहा जाता है।

पौराणिक कहानियों के अनुसार पांडवों ने केदारनाथ मंदिर को बनाया था। जबकि आज दिखने वाले केदारनाथ मंदिर की स्थापना 8वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य जी ने की थी।

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केदारनाथ यात्रा 2023 | Kedarnath Temple Kapat Openning Date 2023 |

केदारनाथ यात्रा के लिए केदारनाथ मंदिर के कपाट आमतौर पर अप्रैल या मई के माह में श्रद्धालुओं के लिए खुल जाया करते है। लगभग 6 महीने चलने वाली चार धाम यात्रा में लगभग अक्टूबर या नवंबर माह में भैयादूज वाले दिन केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। जिसके बाद बाबा केदार की डोली अपने ग्रीष्मकालीन आवास में ऊखीमठ मंदिर में आ जाती है।

साल 2023 में केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने की तारीख:

कपाट खुलने की तारीख और समय : 26th अप्रैल 2023
कपाट बंद होने की तारीख और समय : भैयादूज

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केदारनाथ आपदा 2013 | Kedarnath disaster 2013 |

साल 2013 में 16 जून के दिन केदारनाथ को एक भयंकर आपदा का सामना करना पड़ा था जिसे साल 2004 में आई सुनामी के बाद देश की दूसरी सबसे भयंकर आपदा माना गया है। जून के महीने में आमतौर पर बरसात की शुरुआत हो जाती है। 2013 के साल उत्तराखंड में बारिश का स्तर हर साल से ज्यादा देखा गया था। ज्यादा बारिश और मलबे के कारण केदारनाथ के ऊपर स्थित झील का पानी रुक गया था जिससे झील में बहुत सारा पानी इकठ्ठा हो गया।

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लगातार बारिश के चलते और बादल फटने से झील पर दबाव बना और झील टूट गयी। इससे पानी का सैलाब केदारनाथ की तरफ बढ़ा और भयंकर तबाही करते हुए रामबाड़ा, गौरीकुंड, सोनप्रयाग से लेकर श्रीनगर तक गया। इस आपदा में भयंकर जान माल का नुकसान हुआ जिसमें हजारों लोग और हजारों मवेशी मारे गए। काफी लोग लापता हुए जिनका आज तक पता नहीं चल पाया।

आश्चर्य है कि, आपदा में भयंकर नुकसान होने के बाद भी मंदिर को किसी प्रकार का गंभीर नुकसान नहीं हुआ। असल में आपदा के दौरान बहकर आया एक बोल्डर मंदिर के ठीक पीछे रुक गया। मंदिर के पीछे इस बोल्डर के रुक जाने से सारा भरी मलवा और नदी का बहाव मंदिर के दोनों तरफ से निकल गया जिससे मंदिर को कोई भी नुक्सान नहीं हो पाया। यह किसी चमत्कार से काम नहीं। इस बड़े पत्थर को भीम शिला का नाम दिया गया है।

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केदारनाथ आपदा 2013 के बाद से सरकारों द्वारा केदारनाथ में निरंतर विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। मंदिर की पौराणिक सुंदरता तो बनाये रख आपदा में ध्वस्त हुयी सम्पति और टूटे रास्तों को फिर से बना लिया गया है। हर साल केदारनाथ यात्रा सुचारु रूप से चल रही है।

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केदारनाथ पहुँचने के लिए यात्रियों को जरूरी नियमों और गाइड लाइन का पालन करना भी अनिवार्य है।

2021: COVID के दौरान केदारनाथ पहुँचने की आवश्यक शर्तें | Kedarnath Yatra Guideline during COVID | 

केदारनाथ पहुँचने के लिए यात्रियों को पंजीकरण करवाना आवश्यक है। यात्री पंजीकरण ऑनलाइन भी करवा सकते हैं। ऑनलाइन पंजीकरण न करवाने वाले यात्रियों को सोनप्रयाग में पंजीकरण केंद्र पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। कोरोना वायरस COVID -19 के बाद से नीचे लिखे सभी आवश्यक नियमों का पालन अनिवार्य है।

(ए) -सभी तीर्थयात्रियों को जिला अधिकारियों के चेक पोस्ट पर अपनी थर्मल स्कैनिंग करवानी होगी। डीएम सभी तीर्थयात्रियों के लिए सभी निर्धारित स्वास्थ्य प्रोटोकॉल की व्यवस्था करेंगे।  

(बी) थर्मल स्कैनिंग-अगर किसी तीर्थयात्री को उच्च तापमान के साथ पाया जाता है, तो उसे तीर्थ यात्रा और COVID-19 परीक्षण (RT-PCR / ANTIGEN / TRUENAT / CBNAAT) की अनुमति नहीं दी जाएगी। तीर्थयात्री जिसक  COVID-19 परीक्षण नकारात्मक पाया जाता है, को ही तीर्थ यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी। इसी तरह जिला प्रशासन ऐसे तीर्थयात्रियों के साथ यात्रा करने का निर्णय ले सकता है जो ऐसे संक्रमित तीर्थयात्रियों के साथ यात्रा कर रहे हैं।

  1. उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से आवेदन करने वाले सभी यात्रियों के लिए यात्रा ई-पास अनिवार्य है। (www.badrinath-kedarnath.gov.in)
  2. तीर्थयात्रियों को हवाई परिवहन (हेलीकॉप्टर सेवा) से यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को यात्रा ई-पास को लागू करने की आवश्यकता नहीं है। सभी हेलिकॉप्टर सेवा ऑपरेटर ऐसे सभी तीर्थयात्रियों के लिए रिकॉर्ड रखेंगे और डेटा को प्रति दिन आधार पर support-ucdb@uk.gov.in पर भेजेंगे। 
  3.  गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और तीर्थयात्रियों को 10 साल से कम और 65 साल से अधिक के लोगों को चार धाम यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है। पूरी यात्रा के दौरान वाहन में हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध होना चाहिए। 
  4. यह ई-पास केवल तीर्थ यात्रा के दौरान मंदिर में दर्शन के लिए मान्य है। 
  5.  यदि तीर्थयात्री कोरोना वायरस से संबंधित किसी भी लक्षण को महसूस करता है, जैसे- सांस फूलना, खांसी, बुखार को श्राइन में जाने से बचना चाहिए या ई-पास के लिए आवेदन नहीं करना चाहिए। 
  6.  तीर्थ यात्रा के लिए तीर्थ की यात्रा के लिए स्थानीय संपर्क व्यक्ति / प्रायोजक / ट्रैवल एजेंसी हेली कंपनी भी जिम्मेदार होगी, जिसकी ओर से ई-पास लागू किया गया है, या आवश्यकतानुसार देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी को इस तरह का विवरण प्रदान करना चाहिए। 
  7. तीर्थयात्रियों को बड़े व्यक्तियों (65 वर्ष से अधिक) और नाबालिगों (10 वियर्स से नीचे) से मिलने से बचना चाहिए। 
  8. तीर्थयात्रियों को मंदिर दर्शन के दौरान, केंद्र / राज्य सरकार को COVID -19 सलाह का पालन करना चाहिए जैसे सामाजिक दूरी और मास्क पहनना आदि। 
  9. धर्मस्थल पर यात्रा के दौरान, यदि तीर्थयात्री को सांस फूलने, खांसी और बुखार जैसे कोई लक्षण महसूस होते हैं, तो उसे तुरंत श्राइन के पास के प्रशासन प्राधिकरण से संपर्क करना चाहिए। 
  10. तीर्थयात्रियों को मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपने हाथों को धोना चाहिए और साबुन से धोना चाहिए। तीर्थयात्रियों को मंदिर के प्रवेश द्वार पर अपने हाथों को पवित्र करने के लिए सैनिटाइज़र प्रदान किया जाएगा। 
  11. तीर्थयात्रियों को सख्ती से सलाह दी जाती है कि वे मंदिर में यात्रा के दौरान किसी भी मूर्ति को न छूएं। 
  12. तीर्थयात्रियों को आईडी प्रूफ, आवेदक की फोटो और पते के प्रमाण भी अपलोड करने होंगे। मंदिर प्राधिकरण बिना किसी पूर्व सूचना के दिशानिर्देशों में संशोधन करने के लिए सभी अधिकार सुरक्षित रखता है, और मंदिर परिसर में किसी भी तीर्थयात्रियों को प्रवेश करने की अनुमति से इनकार कर सकता है। 
  13.   यात्रा ई-पास के लिए आवेदन करने और धर्मस्थानों की यात्रा करने या प्रोटोकॉल / दिशा का पालन नहीं करने पर प्रदान की गई किसी भी गलत जानकारी के परिणामस्वरूप महामारी रोग (नियंत्रण) अधिनियम और अन्य आपराधिक कृत्यों के अनुसार कानूनी कार्रवाई होगी।
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साल 2021

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केदारनाथ दूरी चार्ट | Kedarnath Distance from Major Cities |

देहरादून से केदारनाथ की दूरी | Kedarnath Distance from Dehradun : 268 Kms
हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी | Kedarnath Distance from Haridwar : 247 Kms
बद्रीनाथ से केदारनाथ की दूरी | Kedarnath Distance from Kedarnath : 245 Kms
सोनप्रयाग से केदारनाथ की दूरी | Kedarnath Distance from Sonprayag : 23 Kms
दिल्ली से केदारनाथ की दूरी | Kedarnath Distance from Delhi : 498 Kms
मेरठ से केदारनाथ की दूरी | Kedarnath Distance from Meerut : 402 Kms
आगरा से केदारनाथ की दूरी | Kedarnath Distance from Agra : 656 Kms
अहमदाबाद से केदारनाथ की दूरी | Kedarnath Distance from Ahmedabad : 1406 Kms
कानपुर से केदारनाथ की दूरी | Kedarnath Distance from Kanpur : 936 Kms

केदारनाथ कैसे पहुंचे? How To Reach Kedarnath from Rishikesh?

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केदारनाथ यात्रा की शुरुआत के लिए यात्री सामान्यता, ऋषिकेश या हरिद्वार पहुँचते हैं। लेकिन चार धाम यात्रा करने आये यात्री सबसे पहले यमुनोत्री और गंगोत्री के दर्शन करने के बाद केदारनाथ पहुंचते हैं। केदारनाथ दर्शन के बाद यात्री बद्रीनाथ धाम पहुंचते हैं।

ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी 227 किलोमीटर है जिसमें लगभग 18 किलोमीटर का पैदल ट्रेक भी करना होता है।

मोटर मार्ग द्वारा ऋषिकेश से केदारनाथ | Rishikesh to Kedarnath distance by road |

मोटर मार्ग से केदारनाथ पहुंचने के लिए सोनप्रयाग स्थान तक पहुंचना होता है। ऋषिकेश से सोनप्रयाग की मोटरमार्ग दूरी लगभग 210 किलोमीटर है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है। गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए 18 किलोमीटर का पैदल ट्रेक शुरू होता है। उत्तराखंड बस द्वारा भी हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून से हौरीकुण्ड तक पहुंचा जा सकता है।

ऋषिकेश से केदारनाथ के बीच प्रमुख स्थान | Major Destinations between Rishikesh to Kedarnath |

ऋषिकेश -देवप्रयाग -श्रीनगर –धारीदेवी -रुद्रप्रयाग – तिलवाड़ा -अगस्त्यमुनि –कुंद -गुप्तकाशी -फाटा -सोनप्रयाग -गौरीकुंड-केदारनाथ

Kedarnath to Badrinath distance in hindi

रेल मार्ग द्वारा ऋषिकेश से केदारनाथ | Rishikesh to Kedarnath distance by train |

रेल मार्ग के केदारनाथ पहुंचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऋषिकेश से गौरीकुंड की मोटरमार्ग दूरी लगभग 215 किलोमीटर है।

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ऋषिकेश रेलवे स्टेशन

हवाई मार्ग द्वारा ऋषिकेश से केदारनाथ | Rishikesh to Kedarnath distance by flight |

हवाई मार्ग से केदारनाथ पहुंचने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा जॉलीग्रांट देहरादून है जहां से गौरीकुंड की मोटरमार्ग दूरी लगभग 222 किलोमीटर है।

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जॉलीग्रांट एयरपोर्ट देहरादून
केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सुविधा भी उपलब्ध है। कुछ ट्रेवल पैकेज में यात्री देहरादून या ऋषिकेश से भी केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सुविधा ले सकते हैं। इसके अलावा गुप्तकाशी, फाटा से भी केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सुविधा उपलब्ध है।

केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर बुकिंग कैसे करें | How to book Helicopter for Kedarnath

ऑनलाइन हेलीकॉप्टर बुकिंग | How to book Helicopter for Kedarnath Online:

केदारनाथ यात्रा के लिए ऑनलाइन हेलीकॉप्टर बुकिंग की जा सकती है। इसके लिए हेलीकॉप्टर सुविधा उपलब्ध करवाने वाली कंपनी की वेबसाइट से बुकिंग की जा सकती है। इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार द्वारा हेलीकॉप्टर बुकिंग के लिए ऑनलाइन वेबसाइट बनाई गई है।

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ऑफ लाइन हेलीकॉप्टर बुकिंग | How to book Helicopter for Kedarnathe:

ऑफ लाइन हेलीकॉप्टर बुकिंग के लिए गुप्तकाशी, फाटा, केदारनाथ में बुकिंग बूथ बनाये गए हैं। जहां से आसानी से हेलीकॉप्टर टिकट बुकिंग की जा सकती है।

ऋषिकेश से केदारनाथ मार्ग पर प्रमुख स्थान | Major destinations on Rishikesh to Kedarnath route |

ऋषिकेश तपोवन  शिवपुर तीन धार देवप्रयाग श्रीनगर  धारीदेवी मंदिर  अगस्त्यमुनि  कुंड गुप्तकाशी सोनप्रयाग  गौरीकुंड  18 किलोमीटर ट्रेक के बाद केदारनाथ

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केदारनाथ पहुंचने का सबसे अच्छा समय | Best Time To Visit Kedarnath |

सामान्यता चार धाम यात्रा शुरुआत के बाद देश विदेश से यात्री केदारनाथ दर्शन के लिए पहुंचते हैं। चार धाम यात्रा लगभग अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवंबर माह तक चलती है।

केदारनाथ कपाट खुलने से बंद होने के बीच जुलाई, अगस्त को छोड़कर किसी भी समय केदारनाथ पहुंचना ज्यादा सुरक्षित होता है। जुलाई और अगस्त में आमतौर पर ज्यादा बारिश देखी जाती है। पहाड़ी इलाकों में इस मौसम में पहुंचना खतरनाक हो सकता है।

कपाट खुलने के बाद अप्रैल से जून तक और सितंबर आधे महीने के बाद से नवंबर तक केदारनाथ जाना अच्छा रहता है। नवंबर में बर्फबारी शुरू होने के बाद केदारनाथ लगभग मार्च तक भारी बर्फ से ढका रहता है।

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केदारनाथ का मौसम और तापमान | Temperature Of Kedarnath | Weather Of Kedarnath |

अत्यधिक ऊंचाई पर होने के कारण केदारनाथ का मौसम प्रायः ठंडा ही रहता है। बारिश होने पर तापमान बहुत तेजी से गिर जाता है। ठंड के मौसम में केदारनाथ का तापमान 0डिग्री से काफी कम रहता है। किसी भी मौसम में यहाँ पहुँचने वाले यात्रियों को हर प्रकार के गरम कपडे साथ रखने चाहिए।

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