महासू देवता मंदिर हनोल | Dehradun to Mahasu Devta Temple Hanol Distance and how to reach In Hindi |

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महासू देवता मंदिर हनोल | Mahasu Devta Temple Hanol Distance from Dehradun in Hindi |

महासू देवता मंदिर, उत्तरकाशी जिले के जौनसार-बावर क्षेत्र में स्थान हनोल में टौंस नदी के तट पर स्थित है। देहरादून से लगभग 175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हनोल समुद्र तट से 1250 मीटर की ऊंचाई पर त्यूनी मोटर मार्ग पर पड़ता है। महासू देवता मंदिर संस्कृति और कला की एक अनमोल धरोहर है। माना जाता है कि मंदिर में सच्चे मन से प्रार्थना करने पर भक्तों के मन की मुराद पूरी हो जाया करती है। मंदिर की बनावट और पौराणिक किस्से अपने आप में अद्भुत हैं। प्रति वर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक मंदिर के दर्शन के लिए आते रहते हैं। आज हम हनोल स्थित पवित्र मंदिर की बारे में जानेंगे और देखेंगे कि कैसे देहरादून से महासू देवता मंदिर हनोल तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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महासू देवता मंदिर की रचना और वर्णन | Mahasu Devta Temple Hanol Construction And Brief Introduction |

कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण नवीं सदी में हुआ था। लेकिन पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट में मन्दिर का निर्माण 11वीं व 12वीं सदी में बताया गया है। मंदिर के संरक्षण का काम आज भी यही विभाग देख रहा है।

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मंदिर टौंस नदी के तट पर अत्यंत ही रमणीक प्राकृतिक वादियों के बीच स्थित है। मंदिर का निर्माण बिना गारे की चिनाई के एक के ऊपर एक कटे पत्थरों से हुआ है। इसके ऊपर ही मंदिर का गुम्बद टिका हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में पानी की प्राकृतिक धारा फूटती है। यही जल भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इसके साथ ही दशकों से जल रही ज्योत आज भी मंदिर के गर्भगृह में जल रही है।मंदिर का प्रांगण काफी खुला हुआ सा मैदान है जहां आपको काफी बकरियाँ घूमती हुई मिल जाएंगी । इन बकरियों को देवता का माना जाता है और इसलिए इनके साथ किसी भी तरह का क्रूर व्यवहार करना भी पाप माना जाता है।

महासू देवता मंदिर का इतिहास | History Of Mahasu Devta Temple Hanol in Hindi|

पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों द्वारा देव शिल्पी विश्वकर्मा की सहायता से मंदिर का स्थान स्थापित किया गया था। माना जाता है कि पांडव यहां माता कुंती के साथ रुके थे। मंदिर के निर्माण के लिए शिवालिक पर्वत श्रृंखला घाटा पर्वत से पत्थरों की धुलाई की गई थी। मंदिर के गर्भगृह में भीमसेन द्वारा लाया गया विशालकाय पत्थर स्थापित है। मंदिर की रचना अपने आप में ही चर्चा का विषय है।

“हनोल” शब्द की उत्पत्ति यहां के एक ब्राह्मण “हुणा भाट” के नाम पर हुई थी। “भाट” का अर्थ “योद्धा” होता है। स्थान हनोल पहले “चकरपुर” नाम से जाना जाता था। मंदिर का निर्माण हुण राजवंश के एक राजा मिहिरकुल हुण ने करवाया था। शिव भक्त होने की वजह से उन्होंने कई अन्य मंदिरों का निर्माण भी करवाया था।

महासू देवता मंदिर के दिलचस्प तथ्य | Amazing Facts About Mahasu Devta Temple Hanol |

1: मंदिर के गर्भगृह में दशकों से जल रही ज्योत को आज भी बुझने नही दिया जाता है।

2: मंदिर के गर्भगृह में पानी की एक प्राकृतिक धारा फूटती है जिसके स्रोत और निकास के बारे में आज भी कोई सही जानकारी नही है।
3: मंदिर इस क्षेत्र में न्यायालय के रूप में माना जाता है। महासू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है।
4: राष्ट्रपति भवन द्वारा हर साल मंदिर को भेंट स्वरूप नमक पहुंचाया जाता है।
5: मंदिर की निर्माण और संरचना भी काफी अद्भुत है जो पत्थरों को काट कर, एक के ऊपर एक रखकर हुआ है।
6: मंदिर प्रांगण में देवता की कुछ बकरियां घूमती हुई दिखती हैं। इन बकरियों से किसी भी प्रकार की गलत छेड़खानी देवता का अपमान माना जाता है।
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7: मंदिर में मौजूद दो अद्भुत पत्थर
 
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महासू देवता मंदिर हनोल के प्रांगण में दो गोल आकार के पत्थर रखें हैं। जिनका व्यास लगभग 8 इंच और 12 इंच है।

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12 इंच का पत्थर
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8 इंच का पत्थर

फिर भी इन पत्थरों को उठाने में बड़े से बड़े बलशाली भी हार मान जाते हैं। कहा जाता है कि मन में सच्ची श्रद्धा रखने वाला भक्त ही इन पत्थरों को उठा पाता है। इस वजह से बड़े से बड़ा बलशाली भी कभी-कभी इन पत्थरों को उठा नहीं पाता जबकि एक सामान्य बालक भी आसानी से पत्थरों को उठाने का सामर्थ्य रखता है।

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कैसे पहुंचे महासू देवता मंदिर हनोल? How To Reach Mahasu Devta Temple Hanol from Dehradun?

महासू देवता मंदिर हनोल पहुँचने के काफी सारे रास्ते हैं। हिमाचल प्रदेश की ओर से भी काफी पर्यटक मोटर मार्ग द्वारा हनोल पहुँचते हैं। उत्तराखंड में महासू देवता मंदिर पहुँचने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता चकराता से होते हुए जाता है जबकि दूसरा रास्ता पुरोला से होते हुए जाता है। दोनों ही रास्ते लगभग समान दूरी के हैं।

देहरादून से महासू मंदिर हनोल | Dehradun to Mahasu Devta Temple Hanol by road:

 राज्य की राजधानी देहरादून से चकराता होते हुए स्थान हनोल की मोटर मार्ग दूरी लगभग 175 किलोमीटर है जबकि पुरोला होते हुए दूरी 180 किलोमीटर है। जिसको तय करने में लगभग 7-8 घंटे का समय लगता है। दोनों ही मार्ग पहाड़ी वादियों से होते हुए निकलते हैं। देहरादून से हनोल के लिए मोटर वाहन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। आप देहरादून से टैक्सी भी बुक करवा सकते हैं।
हवाई मार्ग द्वारा महासू देवता मंदिर हनोल पहुँचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉलीग्रांट हवाई अड्डा है जहाँ से हनोल की मोटरमार्ग दूरी लगभग 200 किलोमीटर है।
रेल मार्ग महासू देवता मंदिर हनोल द्वारा पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन है जहाँ से हनोल लगभग 175 किलोमीटर है।

ROUTE 1 :देहरादून से महासू देवता मंदिर हनोल के बीच मुख्य स्थान | Major Destinations Between Dehradun to Mahasu Devta Hanol |

 देहरादून➜ मसूरी➜ यमुना पुल ➜ नैनबाग ➜ डामटा ➜ नौगांव ➜ पुरोला ➜ जरमोला ➜ मोरी ➜ हनोल 
 

ROUTE 1 :देहरादून से महासू देवता मंदिर हनोल के बीच मुख्य स्थान | Major Destinations Between Dehradun to Mahasu Devta Hanol |

  देहरादून➜सेलाकुई➜ विकासनगर➜डाकपत्थर➜कालसी➜सरदी➜कोटी ➜मलेथा➜रड्डू ➜त्यूणी➜ हनोल

हनोल का मौसम और तापमान | Weather and temperature in Hanol |

हनोल स्थान समुद्र ताल से 1250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पहाड़ी स्थान होने के कारण हनोल के आसपास का तापमान प्राय ठंडा रहता है। गर्मियों में जहाँ यह तापमान सुहावना लगता है, वहीँ सर्दियों में यहाँ कड़ाके की ठण्ड का अनुभव होता है।

HANOL WEATHER

गर्मियों में उत्तरकाशी का तापमान(अप्रैल से जून तक) | Temperature in Hanol during Summer |

अधिकतम: लगभग 35℃
न्यूनतम: लगभग 10℃

मानसून में उत्तरकाशी का तापमान(जुलाई से सितंबर तक) | Temperature in Hanol during Monsoon |

अधिकतम: लगभग 25-30℃
न्यूनतम: लगभग 15-20℃

सर्दियों में उत्तरकाशी का तापमान(अक्टूबर से फरवरी तक) | Temperature in Hanol during Winter |

अधिकतम: लगभग 20℃
न्यूनतम: लगभग 0℃ और कम
 ****कृपया पर्यटक स्थानों पर गंदगी न फैलाएं। साथ ही स्थानीय लोगों की निजता का ध्यान रखें।****

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