केदारकांठा ट्रेक की दूरी | Kedarkantha Trek Distance and How to reach from Dehradun |
केदारकांठा, उत्तराखंड का सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला विंटर ट्रेक है। केदारकांठा में हर साल देश और विदेश से लोग ट्रेकिंग के लिए आते रहते हैं। सर्दियों में यहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्या में बहुत अधिक इजाफा होता है। समुद्र तल से लगभग 12500 फिट की ऊंचाई पर स्थित केदारकांठा, गोविन्द पशु विहार नेशनल पार्क के अंतर्गत गढ़वाल हिमालय उत्तरकाशी, उत्तराखंड क्षेत्र में स्थित है। जौनसार-बावर क्षेत्र के सांकरी गाँव से केदारकांठा ट्रेक की शुरुआत होती है। केदारकांठा शिखर पर चारों तरफ बर्फ से लदी पहाड़ियों का नजारा और पहाड़ियों तक पहुँचने वाले खूबसूरत रास्ते पर्यटकों को दूर-दूर से केदारकांठा आने के लिए आकर्षित करते हैं। केदारकांठा की सबसे पसंदीदा बात यहाँ पहुँचने वाला रास्ता और शिखर से दिखने वाला नजारा है। इसके साथ ही केदारकांठा शिखर से सूरज उदय और सूरज डूबने का नजारा बहुत अद्भुत है जिसे देखने के लिए पर्यटक, सुबह और शाम को यहां पहुँचते हैं। केदारकांठा शिखर से हिमालय की 13 चोटियों का नजारा मिलता है।
बेस कैंप, केदारकांठा
यह ट्रेक अनुभवी ट्रेकर्स के साथ-साथ शुरुआती ट्रेकर्स के बीच भी काफी लोकप्रिय है। सांकरी गाँव से केदारकांठा तक पहुँचने का रास्ता आगे बढ़ने के साथ ही मुश्किल होता रहता है, लेकिन रास्ते से दिखने वाला शिखर का रोमांचक नजारा पर्यटकों का उत्साह, धैर्य और हिम्मत बनाये रखता है।
केदारकांठा का इतिहास | History Of Kedarkantha in Hindi |
केदारकांठा को अधिकतर लोग केदारनाथ नाम के साथ जोड़ देते हैं। लगभग एक जैसे नाम होने वाले केदारकांठा और केदारनाथ दो अलग-अलग स्थान हैं जिनकी अपनी-अपनी लोकप्रियता है। लेकिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लोगों का मानना है कि केदारकांठा ही केदारनाथ हो सकता था अगर यहाँ पर उस समय लोगों की उपस्थिति ना होती। असल में महाभारत काल में नंदी बैल का अवतार धारण किये हुए भगवान शिव, पांडवों से छिपने के लिए सबसे पहले केदारकांठा ही आये थे। लेकिन यहाँ पर उस समय स्थानीय लोग रहा करते थे जिनकी वजह से भगवान शिव की शांति भंग हो गयी थी।
सांकरी क्षेत्र के स्थानीय लोगों का मानना है कि महाभारत काल में भगवान शिव पांडवों से छिपकर यहाँ जब ध्यान करने बैठे थे तो बुग्यालों में घास चर रहे पशुओं के गले की घंटियों से उनका ध्यान भंग हो गया था, जिसके बाद भगवान शिव केदारनाथ की ओर चले गए थे। यहाँ के लोगों की आस्था है कि केदारकांठा में निर्मित त्रिशूल उनकी सुरक्षा करता है और उनके लिए पावन नदियों के जल की कमी नहीं होने देता है।
सांकरी गाँव से लगभग 4 किलोमीटर का पहाड़ी ट्रेक करने पर “जुडा का ताल” स्थान पर पहुंचा जाता है। जुडा का ताल, पानी का एक तालाब है जिसका पानी सर्दियों में सामान्यता जमा हुआ रहता है। जुडा के तालाब के पीछे की पौराणिक कहानी यह है कि जब भगवान शिव, ध्यान के लिए केदारकांठा जा रहे थे तब यहां रुककर उन्होंने अपनी जटा खोली थी जिससे पानी की दो बूंदे इस स्थान पर गिरी। इस वजह से यहां आज ताल है जिसे जुडा का ताल नाम से जाना जाता है।
केदारकांठा ट्रेक की दूरी | Kedarkantha Trek Distance |
केदारकांठा का ट्रेक लगभग 18 किलोमीटर का है जिसे तय करने में सामान्य ट्रेकर को लगभग 4-5 दिन का समय लग जाता है। केदारकांठा ट्रेक, सांकरी गाँव से शुरू होता है। सामान्यता इस ट्रेक को नए ट्रेकर्स के लिए भी आसान माना जाता है लेकिन ट्रेकर्स को पूरे गियर और उचित सुरक्षा सामग्री के साथ इस ट्रेक पर आना चाहिए। सांकरी गांव से केदारकांठा की ओर बढ़ने पर यह ट्रेक बर्फीला और मुश्किल होता जाता है, लेकिन मुश्किल होने के साथ ही नए-नए दृश्य और पर्वत श्रृंखलाओं का नजारा ट्रेक में रोमांच का एहसास करवाता रहता है।
बेस कैंप, केदारकांठा
केदारकांठा शिखर से हिमालय की 13 चोटियों को आसानी से देखा जा सकता है, जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री, स्वर्गरोहिणी की चारों चोटियां, हिमालय की बन्दरपूँछ श्रेणी, ब्लैक पीक, हर की दून, हिमाचल आदि की चोटियां हैं।
कैसे पहुंचे केदारकांठा? How To reach Kedarkantha Trek Distance?
दिल्ली से केदारकांठा | How to reach Kedarkantha Trek distance from Delhi |
दिल्ली से केदारकांठा पहुँचने के लिए ट्रेकर्स को सबसे पहले देहरादून पहुंचना होगा। दिल्ली से देहरादून की दूरी को सड़क मार्ग, रेलवे मार्ग और हवाई मार्ग तीनो से तय किया जा सकता है। सड़क मार्ग से देहरादून ISBT, हवाई मार्ग से देहरादून जॉलीग्रांट हवाई अड्डा और रेल मार्ग से देहरादून प्रिंस चौक रेलवे स्टेशन पहुंचा जाता है।
देहरादून से सांकरी और केदारकांठा ट्रेक | How to reach Dehradun to Sankri and Kedarkantha Trek Distance |
केदारकांठा पहुँचने के लिए पर्यटकों को सबसे पहले राज्य की राजधानी देहरादून पहुंचना होता है। रेल मार्ग या हवाई मार्ग से सांकरी पहुँचने की सुविधा भी देहरादून तक के लिए है। देहरादून के बाद सांकरी पहुँचने के लिए मात्र मोटर मार्ग से ही पहुंचा जा सकता है। देहरादून से बेस कैंप सांकरी तक की मोटर मार्ग दूरी लगभग 190 किलोमीटर है। देहरादून से सांकरी पहुँचने के लिए पर्याप्त मात्रा में टैक्सी और सार्वजानिक गाड़ियां उपलब्ध रहती हैं।
सांकरी
सांकरी पहुँचने के न्यूनतम दूरी मार्ग में आने वाले कुछ स्थान देहरादून-यमुना पुल-नैनबाग-नौगांव-पुरोला-मोरी-सांकरी हैं। इसके अतिरिक्त देहरादून से विकासनगर-चकराता होते हुए भी सांकरी पहुंचा जा सकता है।
पुरोला से मोरी होते हुए सांकरी पहुँचने का मार्ग बहुत ही लुभावने प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है। लुभावनी घाटियों से होते हुए ये मार्ग मोरी स्थान के बाद टोंस नदी के किनारे होते हुए सांकरी पहुँचता है।
सांकरी से केदारकांठा | Sankri to Kedarkantha Trek distance |
केदारकांठा ट्रेक के लिए मोटर वाहन का अंतिम पड़ाव सांकरी गाँव है। सांकरी को केदारकांठा ट्रेक का बेस कैंप गाँव कहा जाता है। सांकरी से केदारकांठा के लिए पैदल ट्रेक शुरू हो जाता है।
केदारकांठा ट्रेक
> पहले दिन सांकरी से जुडा का तालाब का ट्रेक किया जाता है, जो कि लगभग 4 किलोमीटर का ट्रेक है। सामान्यता जुडा के ताल से सांकरी ट्रेक पर कम बर्फ मिलती है इसलिए 4 किलोमीटर का यह ट्रेक काफी आसानी से पूरा किया जा सकता है।
जुडा का तालाब
जुडा का तालाब
> दूसरे दिन जुडा के तालाब से बेस कैम्प का ट्रेक किया जाता है। यह 2 किलोमीटर का बर्फीला ट्रेक है, जिसे तय करने में लगभग 2 घंटे लग जाते हैं।
> तीसरे दिन बेस कैम्प से शिखर के लिए ट्रेक किया जाता है जो लगभग 3-4 किलोमीटर है। यह ट्रेक काफी ज्यादा बर्फीला होता है। इस ही दिन ट्रेक पूरा कर के वापस बेस कैम्प आ सकते हैं।
> चौथे दिन बेस कैंप से वापस सांकरी गाँव पहुंचा जा सकता है।
केदारकांठा पहुँचने का सबसे अच्छा समय | Best Time To Reach Kedarkantha Trek |
केदारकांठा किसी भी मौसम में पहुंचा जा सकता है। हर एक मौसम में यहाँ पहुँचने का अलग रोमांचक अनुभव है। बरसात के मौसम में यहाँ पहुंचना काफी खतरनाक हो सकता है क्योंकि बरसात के मौसम में पहाड़ी रास्तों पर भूस्खलन, पत्थर और पेड़ गिरना आदि होता रहता है, इसके साथ ही चोटियों पर बिजली गिरने जैसी समस्या आम है। यही वजह है कि पर्यटकों को जुलाई-अगस्त के माह में केदारकांठा पहुँचने की योजना नहीं बनानी चाहिए। केदारकांठा ट्रेक सर्दियों के लिए ही ट्रेकर्स के बीच प्रसिद्ध है। इसे उत्तराखंड का सबसे अधिक पसंदीदा विंटर ट्रेक भी कहा जाता है।
Kedarkantha Trek in Summer : गर्मियों के दौरान मई और जून के महीने में यहाँ पहुंचा जा सकता है। दिन में साफ़ आसमान के नीचे आसान ट्रेक का लुफ्त उठाने के लिए ये दो महीने काफी अच्छे हैं। इस मौसम जहाँ दिन में तापमान लुभावना रहेगा, वहीँ रातें काफी हद तक ठंडी रहेंगी।
Kedarkantha Trek in Winter : सर्दियों के दौरान दिसंबर से फरवरी के बीच यहाँ पहुँचने पर सबसे अधिक बर्फ मिलती है। बर्फ के साथ दृश्य और सफर का रोमांच भी बढ़ जाता है।इस मौसम में आमतौर पर यहाँ बर्फवारी देखी जा सकती है। इस मौसम में यहाँ ठण्ड बहुत ज्यादा होती है, इसलिए पर्यटकों को पर्याप्त मात्रा में अच्छे गर्म कपडे साथ रखने चाहिए।
मार्च-अप्रैल के दौरान भी काफी मात्रा में बर्फ देखने को मिलती है लेकिन इस मौसम में आमतौर पर कम ही बर्फवारी होती है।
सितम्बर से नवम्बर के मौसम में काम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भरपूर हरियाली देखने को मिलती है। इस दौरान मौसम भी साफ़ रहता है। इस मौसम में भी केदारकांठा का ट्रेक आसानी से पूरा किया जा सकता है।
गर्मियों में केदारकांठा का तापमान (Kedarkantha Temperature in Summer | अप्रैल से जून तक)
अधिकतम: लगभग 25℃
न्यूनतम: लगभग 5-8℃
मानसून में केदारकांठा का तापमान (Kedarkantha Temperature in Monsoon | जुलाई से सितंबर तक)
अधिकतम: लगभग 20℃ न्यूनतम: लगभग 3-5℃
सर्दियों में केदारकांठा का तापमान (Kedarkantha Temperature in Winters | अक्टूबर से फरवरी तक)
अधिकतम: लगभग 10℃ न्यूनतम: लगभग -20℃ और कम
केदारकांठा जाने के लिए ध्यान रखने वाली बातें | Things to keep in mind before reaching Kedarkantha Trek |
1: अगर आप एक ट्रैकिंग एजेंसी के माध्यम से ट्रेक पर जा रहे हैं तो सबसे पहले एजेंसी के सभी नियम समझ लें। अगर लोकल गाइड की सहायता ले रहे हैं तो गाइड से जरूरी नियम पूछ लें।
2: केदारकांठा एक बर्फीला ट्रेक है तो आवश्यक गर्म कपडे और सभी ट्रेकिंग गियर साथ रखें।
3: खाने-पीने के सामान साथ रखें। एक समय के बाद रास्ते पर किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिलेगी।
4: ट्रेकिंग के दौरान किसी भी प्रकार की मेडिकल सुविधा जैसे अस्पताल या क्लिनिक नहीं मिल पाती हैं ।
5: ट्रेक पर मोबाइल नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध नहीं होती। इसके साथ ही ठण्ड की वजह से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है।
6: ट्रैकिंग के लिए सबसे जरूरी गियर, जूतों पर ध्यान दें। ट्रेकिंग के लिए अच्छे जूतों का इस्तेमाल करें।
7: पहाड़ी रास्ते पर हर हर तरह के खतरे जैसे पहाड़ी से गिरने वाले पत्थरों, जंगली जानवर, फिसलन आदि का ध्यान रखे।
***कृपया पर्यटक स्थानों पर गंदगी न फैलाएं। साथ ही स्थानीय लोगों की निजता का ध्यान रखें।
Wow wow🤩😍
Visit my profile too🌈
<3