गरतांग गली उत्तरकाशी उत्तराखंड | Gartang Gali Bridge Distance From Dehradun in Hindi |
गरतांग गली, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित लकड़ी का एक आकर्षक लकड़ी का मार्ग है। माना जाता है कि गरतांग गली का निर्माण लगभग 150 साल पहले हुआ था। दशकों पहले गरतांग गली का इस्तेमाल भारत और तिब्बत देश के बीच व्यापार के लिए हुआ करता था। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से लकड़ी के इस खुबसूरत रास्ते को बंद कर दिया गया था। जिसके बाद से गरतांग गली लगभग 50 सालों तक बंद रही। वर्ष 2021 में गरतांग गली के नवनिर्माण का कार्य पूरा होने के बाद से यह पर्यटकों के लिए खोला जा चुका है। अगस्त 2021 से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में Covid गाइडलाइन्स का पालन करते हुए पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं।
गरतांग गली का इतिहास | History of Gartang Gali Uttarkashi |
गरतांग गली एक समय पर भारत-तिब्बत के व्यापारियों से भरी रहती थी। तिब्बत के व्यापारी सुमला मंडी, नेलांग के इस सीढीनुमा मार्ग से होते हुये ऊन, चमड़े के बने कपड़े-जूते और नमक का व्यापार करने के लिए उत्तरकाशी पहुंचते थे। तिब्बत के इन व्यापारियों को दोरजी कहा जाता और इस सीढीनुमा मार्ग को गरतांग गली कहा जाता था। उस समय उत्तरकाशी में प्रतिदिन लगने वाला बाजार(जिसे हाट भी कहा जाता है) में इन सामानों को बेचा जाता था। अपना सामान बेचने के बाद दोरजी यहां से तेल, कई प्रकार के मसाले व दालें, गुड़ और तंबाकू आदि जरूरत के सामानों को तिब्बत ले जाते थे। यह सब व्यापार याक, घोड़ा-खच्चर और भेड़-बकरियों पर सामान लादकर किया जाता था।
गरतांग गली का निर्माण 17वीं शताब्दी में पेशावर के पठानों द्वारा किया गया था। जिसकी लंबाई लगभग 500 मीटर और चौड़ाई लगभग 1.5 मीटर की हुआ करती थी। लगभग 11000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित गरतांग गली खड़ी पहाड़ियों को काटकर बनाया गया है। देखने में खतरनाक यह लकड़ी का रास्ता उत्तम कारीगरी का खूबसूरत उदाहरण है।
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से नेलांग और जादुंग गांवों को खाली करवाया गया और गरतांग गली को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया था। गांवों के लोगों को हरसिल, बगोरी और डुंडा जैसे स्थानों पर बसाया गया। स्थानीय लोगों को साल में एक बार धार्मिक क्रियाकलाप संपन्न करने के लिए गांवों में भेजा जाता है।
लगभग 10 वर्षों तक भारतीय सेना द्वारा गरतांग गली का इस्तेमाल किया जाता रहा। इसके बाद 1975 में भारतीय सेना ने भी इस मार्ग का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था। जिसके बाद से इस मार्ग पर किसी भी प्रकार की इंसानी आवाजाही लगभग 50-60 सालों तक बंद रही।
गरतांग गली का नवनिर्माण 2021 | Reconstruction of Gartang Gali wooden bridge in 2021 |
भारत-तिब्बत के बीच व्यापार का आज गरतांग गली ही एक मात्र प्रमाण बचा था लेकिन लगभग 50 सालों तक बंद रहने के कारण यह मार्ग काफी क्षतिग्रस्त हो गया था जिससे इस पर जाना काफी खतरनाक हो गया। इसके बाद वर्ष 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा सरकार से गरतांग गली के लिए वित्तीय मदद का प्रस्ताव भेजा गया जिसकी स्वीकृति भी मिल गयी। जिसके बाद जुलाई 2021 में गरतांग गली को लगभग 5 महीने की कड़ी मेहनत के बाद फिर से बनाकर तैयार कर लिया गया है।
गरतांग गली के निर्माण में लगभग 64 लाख का खर्चा किया गया। नई लकड़ी का इस्तेमाल कर कारीगरों ने इस खतरनाक मार्ग को खूबसूरती के साथ फिर से तैयार कर लिया। खड़ी पहाड़ी पर भागीरथी नदी से लगभग 200मीटर की ऊंचाई पर स्थित 136 मीटर लंबे और 1.8 मीटर चौड़ी गरतांग गली को सरकार द्वारा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। पहले ही माह में सरकार को गरतांग गली द्वारा लगभग 62-63 हजार रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। यह राजस्व अभी तक देश भर से आये हुए पर्यटकों से प्राप्त हुआ है। विदेशी पर्यटकों के आने के बाद राजस्व में और वृद्धि देखने को मिलेगी।
गरतांग गली पहुंचने के लिए पंजीकरण । Gartang Gali Registration and Fee |
Important conditions to reach Gartang Gali Wooden Bridge in Hindi :
1- पर्यटकों को आधिकारिक को Covid गाइडलाइन का पालन करना होगा।
2- लंका ब्रिज पर पंजीकरण और एंट्री फीस जमा करवानी अनिवार्य है। पंजीकरण शुल्क देने के बाद ही प्रवेश करना होगा।
3- एक समय पर 10 से अधिक लोगों को गरतांग गली ब्रिज पर जाना मना है।
4- गरतांग गली ब्रिज पर कूदना मना है।
5- लकड़ी पर किसी भी प्रकार से लिखना मना है। ऐसे पर्यटकों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के निर्देश हैं।
गरतांग गली पहुंचने का अच्छा समय| Best time to reach Gartang Gali from Dehradun |
गरतांग गली पहुंचने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर-नवंबर माह के बीच है। हालांकि बरसात के मौसम में यहां पहुंचना थोड़ा खतरनाक हो सकता है।
गरतांग गली कैसे पहुंचे? How to reach Gartang Gali Bridge from Uttarkashi?
गरतांग गली पहुंचने के लिए सबसे पहले उत्तरकाशी पहुंचना होता है। उत्तरकाशी स्थान से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर पड़ने वाली गरतांग गली का रास्ता, गंगोत्री मोटर मार्ग पर है। भैरोंघाटी पर रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद ‘लंका पुल’ के पास से गरतांग गली के लिए लगभग 2.5 किलोमीटर का पैदल रास्ता निकलता है। जबकि लंकापुल से लगभग 20 किलोमीटर की मोटरमार्ग दूरी पर गंगोत्री मंदिर पड़ता है।
रेल मार्ग से गरतांग गली | How to reach Gartang Gali by train |
रेल मार्ग से गरतांग गली पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून है, जहां से मोटर मार्ग द्वारा उत्तरकाशी की न्यूनतम दूरी लगभग 145 किलोमीटर है।
हवाई मार्ग से गरतांग गली | How to reach Gartang Gali by air |
हवाई मार्ग से गरतांग गली पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जॉलीग्रांट देहरादून है। यहां से हेलीकॉप्टर द्वारा चिन्यालीसौड़ और हरसिल भी पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग से गरतांग गली | How to reach Gartang Gali from Dehradun by road |
सड़क मार्ग द्वारा गरतांग गली ब्रिज पहुँचने के लिए सबसे पहले उत्तरकाशी शहर पहुंचना होता है। बाहरी पर्यटकों को देश की राजधानी दिल्ली से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून तक आसानी से सार्वजनिक या निजी वाहन द्वारा पहुंचा जा सकता है। देहरादून से उत्तरकाशी के लिए पर्याप्त मात्रा में बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं। यह मार्ग धनौल्टी, सुवाखोली से चिन्यालीसौड़ होते हुए उत्तरकाशी पहुँचता है। इसके अतिरिक्त दिल्ली से ऋषिकेश होते हुए भी चम्बा मार्ग द्वारा चिन्यालीसौड़ पहुंचा जाता है। चिन्यालीसौड़ से उत्तरकाशी की मोटरमार्ग दूरी लगभग 35 किलोमीटर है।
उत्तरकाशी से गरतांग गली की न्यूनतम मोटर मार्ग दूरी लगभग 110 किलोमीटर है। उत्तरकाशी बस स्टैंड से टैक्सी और बस द्वारा लंकापुल तक पहुंचा जाता है। लंका पुल पर एंट्री और रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद पैदल ट्रेक की शुरुआत होती है।
देहरादून से गरतांग गली के बीच मुख्य स्थान | Major Destinations between Dehradun to Gartang gali distance |
देहरादून ➜ मसूरी ➜ सुवाखोली➜ रौतु की भेली ➜ मोरियाना ➜ चिन्यालीसौड़➜ धरासू➜ मातली➜ उत्तरकाशी ➜ भटवारी ➜ मनेरी ➜ डबरानी ➜ सूखीटॉप➜ झाला ➜ हरसिल ➜ भैरोंघाटी होते हुए लंका पुल
उत्तरकाशी से गरतांग गली के बीच मुख्य स्थान | Major Destinations between Uttarkashi to Gartang gali distance |
उत्तरकाशी ➜ भटवारी ➜ मनेरी ➜ डबरानी ➜ सूखीटॉप➜ झाला ➜ हरसिल ➜ भैरोंघाटी होते हुए लंका पुल
हरसिल से गरतांग गली की दूरी | Harsil to Gartang gali Distance |
हरसिल, गंगोत्री मंदिर मार्ग पर पड़ने वाला एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। हरसिल पहाड़ी वादियों के बीच भागीरथी नदी के किनारे बसा हुआ है। उत्तरकाशी से हरसिल की सड़क मार्ग दूरी लगभग 80 किलोमीटर है। हरसिल से टैक्सी या बस द्वारा लंका पुल तक पहुंचना होता है। लंका पुल पर रजिस्ट्रेशन के बाद 2.5 किलोमीटर का पैदल ट्रेक कर गरतांग गली ब्रिज पहुँचते हैं।
गरतांग गली स्थान का मौसम और तापमान | Gartang Gali weather |
हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण गरतांग गली का मौसम अधिकतर ठंडा ही रहता है। अक्टूबर माह के बाद से यहां पर बर्फबारी होना आम बात है। इसलिए किसी भी मौसम में यहां आने वाले पर्यटकों को ठंड से बचने के कपड़े और सामान साथ लेकर पहुंचना चाहिए।
गरतांग गली में क्या न करें? What you should not do in Gartang Gali?
गरतांग गली एक पहाड़ी वादियों में बसा एक खूबसूरत और आकर्षक स्थान है जिसका अनुभव लेना हर किसी पर्यटक के लिए काफी रोमांचक भरा रहेगा। पर्यटक यहां के मौसम का खूब आनंद लें और अपनी यात्रा को यादगार बनाएं, लेकिन कृपया निम्न बातों का ध्यान रखें।
1- पंजीकरण कर ही यहां आएं और Covid गाइडलाइन का पालन करें।
2- किसी प्रकार की गंदगी न फैलाएं। कूड़ादान न मिलने पर खाने पीने के सामान की गंदगी अपने पास ही रखें और समय आने पर कूड़ेदान में फेंकें।
3- शोर न करें और नशीले पदार्थों का सेवन न करें। जंगली जानवरों का ध्यान रखें।
4- पर्यटकों के लिए गरतांग खोले जाने के पहले महीने में ही देखा गया कि अधिकतर यात्री मार्कर/पेन से गरतांग गली की लकड़ी पर अपना-अपना नाम लिख गए। पर्यटकों द्वारा इस तरह का व्यवहार बहुत ही दुःखद था। इस तरह के काम करने वाले पर्यटक गरतांग गली पर अपना नाम लिखकर मात्र अपनी बेवकूफी का सबूत छोड़ आये हैं।
पहाड़ीGlimpse द्वारा भी इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया गया। सरकार ने ऐसा करने वाले पर्यटकों को कड़ी चेतावनी दी है, और अज्ञात लोगों खिलाफ एफआइआर भी दर्ज की गयी है। इसके बाद से गरतांग गली में गार्ड भी लगवाए गए हैं। किसी प्रकार का दुर्व्यवहार करने वालों के प्रति ठोस कार्यवाही की जाएगी।
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Bewkoof log h jo ese historical place ko dirty karte hain