Homeउत्तराखंडउत्तराखंड पर्यटन और स्थानीय लोगों को मिलने वाली चुनौतियां | What are...

उत्तराखंड पर्यटन और स्थानीय लोगों को मिलने वाली चुनौतियां | What are the challenge faced by tourism in Uttarakhand?

उत्तराखंड पर्यटन को मिलने वाली चुनौतियां | Challenge faced by tourism in Uttarakhand |

उत्तराखंड राज्य, भारत के पहाड़ी राज्यों में से एक है। उत्तराखंड का लगभग 85% क्षेत्र पहाड़ी है। उत्तराखंड में कुल 13 जिले हैं।  अधिकांश जिले राज्य के पहाड़ी भागों को कवर करते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों के कारण उत्तराखंड पर्यटन को हर साल काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ये चुनौतियां हर साल स्थानीय लोगों को और उनकी आजीविका को प्रभावित करता है। आज हम देखेंगे कि उत्तराखंड पर्यटन हर साल किन प्रमुख चुनौतियों का सामना कर रहा है।

 

1: उत्तराखंड पहाड़ी का अप्रत्याशित मौसम | Unpredictable Weather of Uttarakhand Pahad |

buy uttarakhand char dham miniature at amazon
 उत्तराखंड पर्यटन हर साल जिस सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है, वह है अप्रत्याशित मौसम। उत्तराखंड में मानसून का मौसम अब तक का सबसे अप्रत्याशित मौसम है। हमने पिछले वर्षों में बहुत सारी त्रासदियों को देखा है। हम वर्ष 2013 की त्रासदी को नहीं भूल सकते हैं जिसमें पूरे राज्य को अरबों रुपये का नुकसान हुआ था। साथ ही केदारनाथ त्रासदी में काफी लोगों ने अपनी जान भी गंवाई।

समय के साथ आज यह महसूस किया जा सकता है कि पहाड़ों में अब मौसम पहले से ज्यादा अप्रत्याशित हो चुका है। कभी बहुत ज्यादा बारिश तो कभी सूखा पड़ जाना। कभी समय से पहले की बर्फवारी तो कभी बिन मौसम की भारी ओलावृष्टि। ये सब चीजें उत्तराखंड के पर्यटन को काफी हद तक प्रभावित करती हैं। हर साल बरसात के मौसम में यहां सड़कें, पुल आदि टूट जाते हैं जिससे काफी यात्री यहां आने से कतराते हैं। इसका सीधा सा असर यहां के लोकल लोगों की आजीविका पर पड़ता है।

2: उत्तराखंड का पहाड़ी राज्य होना | Because Uttarakhand is a Hilly State |

यह बात सुनने में थोड़ी अजीब लगे लेकिन अगर उत्तराखंड का पहाड़ी राज्य होना यहां के पर्यटन को बढ़ावा देता है तो यही बात यहां के पर्यटन को चुनौती भी देता है। उत्तराखंड के लगभग सारे पर्यटक स्थल पहाड़ी क्षेत्रों में ही हैं और यहां पहुंचने के लिए सड़कों से पहुंचना काफी खतरनाक भी है। पहाड़ों में भूस्खलन, सड़क का टूटना, अच्छी सड़क का न होना एक सामान्य सी बात है।

आप एक समय के लिए सरकार को भी इसका दोषी ठहराएं तो भी यह पूरी तरह से सही बात नहीं होगी। क्योंकि इतने खतरनाक रास्तों पर इन सब घटनाओं का होना एक सामान्य सी बात है और मरम्मत होने में समय लगना भी सामान्य बात है। सड़कों पर जितना भी विकास का काम हो रहा है वो कहीं न कहीं पहाड़ों को और ज्यादा कमजोर कर रहा है जिससे आये दिन सड़कों का टूटना, भूस्खलन होना होता रहता है।

MUST READ हर की दून ट्रेक उत्तरकाशी उत्तराखंड | Har Ki Dun Trek Distance From Dehradun in Hindi |

3: पहाड़ी लोगों का पर्यटन के प्रति कम शिक्षित होना | Lake of education towards tourism in Uttarakhand |

हालांकि आज नई पीढ़ी के पहाड़ी बच्चे काफी समझदार हो गए हैं और वे बदलती तकनीक और विचारों का इस्तेमाल कर पर्यटन को काफी आगे ले आये हैं लेकिन फिर भी काफी लोग पर्यटन के प्रति अभी भी ज्यादा शिक्षित नहीं हैं। अधिकतर लोग अभी भी कृषि को ही एक मात्र आजीविका का साधन बनाएं हैं, जो कि अच्छी बात भी है लेकिन कृषि के साथ-साथ पर्यटन से काफी अच्छी कमाई हो सकती है। इसके साथ ही पहाड़ी लोग अगर नए नए पर्यटन के विचारों को अपनाएं तो वे पर्यटन को और भी ज्यादा बढ़ावा देकर ज्यादा कमाई कर सकते हैं। जैसे पुराने समय तक पहाड़ी पर्यटक स्थलों पर लोकल लोग मात्र होटल और ढाबे तक ही सीमित थे लेकिन आज कॉटेज, कैम्प, हट, रिसोर्ट, रेस्टोरेंट जैसी सुविधाएं देकर काफी लोग अच्छी कमाई कर रहे हैं।

challenges faced by uttarakhand tourism in hindi
Contact Us @पहाड़ीGlimpse

4: पहाड़ी लोगों की आर्थिक स्थिति | Economical condition of Pahadi Locals in Uttarakhand |

अगर जमीन, घर, सम्पति देखी जाए तो हर एक पहाड़ी किसी लखपति करोड़पति से कम नहीं है लेकिन फिर भी अधिकतर पहाड़ी लोगों के पास इतने रुपये या साधन नहीं होते कि वे अपनी जमीन पर खुद से कोई अच्छा स्वरोजगार कर लें। अधिकांश लोगों के पास पर्यटक स्थलों के आसपास जमीन है लेकिन इतने रुपये नहीं कि उस जमीन पर वे होटल, रिसोर्ट आदि खोल पाएं। इस ही आर्थिक स्थिति की वजह से अधिकतर पहाड़ी लोग मात्र कृषि और बगीचों को ही ऊनी आजीविका का साधन बनाये हैं।

What are the challenge faced by tourism in Uttarakhand 

ALSO SEE दयारा बुग्याल ट्रेक के बारे में जानकारी | Dayara Bugyal Trek Distance From Uttarkashi |

5: पहाड़ी लोगों का अपनी जमीन बेच देना | Locals selling off their property in Uttarakhand to outsiders |

आज पहाड़ी लोग अपनी आर्थिक स्थिति के चलते अपनी जमीन को बेच रहे हैं। और जमीन ख़रीदने वाले लोग ज्यादातर बाहरी राज्यों के हैं। बाहरी राज्यों के लोग जिनकी पहले से ही आर्थिक स्थिति अच्छी है वे इन जमीनों पर अपना रोजगार कर और ज्यादा कमाई कर रहे हैं। इसके साथ ही पहाड़ी व्यक्ति लीज/किराए के नाम मात्र पैसे लेकर ही खुश है। बाहरी लोगों का जमीन खरीदना गलत नहीं माना जा सकता, लेकिन स्थानीय लोगों का अपनी जमीन बेच देना गलत है। अगर ऐसे ही स्थानीय लोग जमीन बेचते रहे तो उत्तराखंड पर्यटन का स्थानीय लोगों को किसी भी तरह का फायदा नहीं हो पायेगा। इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि बाहरी लोगों का पहाड़ी संस्कृति के प्रति लगाव नहीं होता जिससे वे सिर्फ यहां व्यापार ही करते हैं। जबकि एक स्थानीय व्यक्ति का यहां की चीजों, संस्कृति से एक लगाव रहता है और वह हर एक तरीके से इस संस्कृति, व्यवस्था को संरक्षित रखता है।

ऐसी ही कुछ बातों को लेकर स्थानीय लोग अब सरकार से भू कानून की मांग कर रहे हैं। जिसे लेकर सोशल मीडिया और सड़कों पर आकर लोगों ने अपनी बात को सरकार के सामने रखा।

उत्तराखंड भूकानून के मुद्दे को लेकर ट्विटर पर#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानूनअभी भी काफी चर्चा में है।

पहाड़ीGlimpse द्वारा भी भू कानून के मुद्दे को बढ़ चढ़कर सोशल मीडिया पर उठाया गया जिसे लोगों का काफी सहयोग भी मिला। उत्तराखंड सरकार द्वारा भी आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही भू कानून को लेकर नियम बनाये जाएंगे। लेकिन हमारा मानना है कि पहाड़ी स्थानीय लोगों को खुद से जागरूक होना चाहिए और अपनी जमीन पर खुद से स्वरोजगार करने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही सरकार को भी पहाड़ी स्थानीय लोगों के लिए कुछ योजनाएं बनानी चाहिए जिससे पहाड़ी लोग अपने पहाड़ में रहकर ही स्वरोजगार करें।

ALSO READ पहाड़ी पकवान सीडे/सीडु बनाने की रेसिपी | गढ़वाल स्टाइल | Uttarakhand Himachal Pahadi Siddu dish Recipe In Hindi |

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
- Advertisment -

Most Popular